कलात्मक किलों-महलों का शहर झालावाड़

राजस्थान का झालावाड़ शहर बहुत ही आकर्षक है। यह शहर अपनी कला संस्कृति, किले, महलो और मंदिरों के लिए जाना जाता है।

 

हर के मध्य स्थित गढ़ श महल के तीन कलात्मक द्वार है। महल का अग्रभाग चार मंजिला है। इसमें मेहराची झरोखो और गुम्बदों का आनुपातिक विन्यास देखने लायक है। परिसर के नक्कारखाने के निकट स्थित पुरातात्विक संग्रहालय भी देखने योग्य है। महल के पिछले भाग में एक नाट्यशाला का निर्माण यूरोपियन ओपेरा शैली किया गया है। शहर से करीब छह किलोमीटर दूर कृष्ण सागर नामक विशाल सरोवर है। काली सिंध नदी और आहु नदी के संगम पर स्थित गागरोन किला झालावाड़ की एक ऐतिहासिक धरोहर है। किले के प्रवेश द्वार के निकट ही सूफी संत मीठेशाह की दरगाह है। झालावाड़ का दूसरा जुड़वा झालरापाटन को घंटियों का शहर भी कहा जाता है।

शहर में मध्यस्थित सूर्य मंदिर यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह मंदिर अहम है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है। इसे पद्मनाभ मंदिर भी कहा जाता है। शान्तिनाथ मंदिर सूर्य मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शातिथ की सौम्य प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा ग्यारह फीट ऊंची है और काले पत्चर से बनी है। मुख्य मंदिर के बाहर विशालकाय दो हाथियों की मूर्तिया इस प्रकार स्थित है, मानो प्रहरी के रूप में खड़ी हो । गोमती सागर झालरापाटन का विशाल सरोवर है। इसके तट पर बना द्वारिकाधीश मंदिर एक प्रमुख दर्शनीय स्थान है। शहर के पूर्व में चन्द्रभागा नदी शहर है। शहर के एक छोर पर ऊंची पहाड़ी पर नौलखा किला एक अन्य पर्यटन स्थल है।

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