प्रेम एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर ही मन को शान्ति और दिल को सुकून मिलता है।
प्रेम एक ऐसा दरिया है जिस की गहराई मापना हर किसी के बस की बात नहीं है
पैसे से इंसान को किसी काम के करने पर मजबूर किया जा सकता है परन्तु उसके दिल को केवल प्यार से ही जीता जा सकता
ये पूरा संसार बस एक ढांचा है और इसकी जान प्रेम है अगर जान निकाल ली जाए तो ये संसार सूना सूना लगने लगे ये संसार की बहारें,पेड़,पौदे,झरने,ऊंचे-ऊंचे पहाड़ लहराती हुई फसलें तरह-तरह के फूल सब मुरझा जाएं और यूँ पूरी दुनिया बेकार लगने लगे गी बस ये समझ लेना चाहिए कि संसार जो हरा भरा दिखाई पड़ता है वो भी प्रेम ही की देन है।
प्रेम वो है जो केवल शारीरिक इच्छा ही के लिए ही नहीं है बल्कि पति और पत्नी को सात जन्मों तक आपस में बांधने का ज़रीआ है। इसी लिए प्रेम करना जितना सरल है उसे निभाना उतना ही कठोर है, बहुत ही कम लोग इसे निभा पाते हैं लेकिन जो निभाते हैं उन्हें ही प्रेम का मज़ा और प्रेम का सही अर्थ पता चल पाता है
अपने माता पिता को प्रेम से देखने वालोँ के लिए ईश्वर ने स्वर्ग बनाई है जिस में हर परकार की चीजें मौजूद हैं।
तो जब प्रेम इतना ज़रूरी और इंसान की ज़िंदगी में इतना मह्त्वपूर्ण है तो इसे इतना गोपनीय क्यूं रखा जाता है?
इसका कारण हम मनुष्य ही हैं की हम प्यार को केवल शारिरीक इच्छा तक ही रखते हैं हालांकि हम इसे अगर फ़ैलाएं तो सारे सँसार की भलाई और अच्छाई इस में समा जाएं मैं
और स्वर्ग पाने का रस्ता भी ईश्वर ने प्रेम में ही रखा है।
मगर हमने प्रेम को इतना बदनाम कर दिया है की आज प्रेम शब्द सुनते ही इंसान की बुद्धि ग़लत ख़्यालों में खो जाती है
आखिर क्यूं ? इसलिए की हमने प्रेम का दूसरा ग़लत अर्थ अपने दिमाग़ में बना रख्खा है,
तो आइए इस अपने ग़लत ख़्यालों वाले प्रेम को दिमाग़ से निकाल कर जो प्रेम ईश्वर से हमेंं मिला है उसे फ़ैलाएँ और आपस में प्यार से दो दिन की ज़िंदगी का सफ़र तय करें
पढ़ने के लिए धन्यवाद ❤❤❤❤
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