चार लाख की चार महत्वपूर्ण बाते

बहुत साल पहले की बात है, एक राज्य था जिसका नाम कांडेलपुर था वहा के राजा की एक आदत थी की वह रोज अपने राज्य का हाल जानने के लिए अपना भेष बदलकर अपने राज्य में जाता था ।

एक दिन की बात है वह घुमते घुमते एक धोबी के घर पहुंचा वहा उसने देखा कि धोबी अपनी पत्नी से कहता हैं की “हुक्का पानी ला दो” और उसकी पत्नी इतना सुनते ही कहती है “काम धाम तो कुछ है नही बस दिन भर हुक्का पीते रहते हो” यह सुनकर धोबी कहता है की “हुक्का लाओ में तुम्हे चार बात चार लाख की बताता हुं” 

इतना सुनते ही राजा हैरान हो गया की ऐसी क्या बात हो सकती है जिसका मूल्य इतना अधिक है ।  

धोबी बोलता है की“ पहली बात ये की शादी के बाद अपनी पत्नी को माईके में नही रखना चाहिए । दूसरी बात अपना वेश किसी को नहीं बताना चाहिए। तिसरी बात अपनों से छोटों के पास नोकरी नही करनी चाहिए और चौथी बात अपना राज किसी को नहीं बताना चाहिए।” यह सब सुन कर राजा अपने महल वापस आ जाता है।

                                                       राजा की भी रानी माईके गई होती है तो राजा अपनी पत्नी को वापस बुलाने के लिए एक पत्र लिखता है लेकिन रानी बार बार मना कर देती थी इसी सब के चलते राजा को धोबी की बात याद आ गई और वह धोबी की बातो का परीक्षण करने के लिए अपनी रानी के राज्य में जाता है उसे धोबी की एक बात याद आती है की अपनी पहचान किसी को नहीं बताना चाहिए तो वह अपना वेश बदल कर एक गरीब बुढ़िया के घर नोकरी के लिए चला जाता है।

                                    बुढ़िया राजा से कहती है की “मेरा बेटा अभी घर पर नहीं है लेकिन मेरा बेटा रथ चलाता है यह काम तुम कर दो” राजा रथ चलाने के लिए तैयार हो जाता है। जब वह रथ ले कर काम पे जा रहा होता है तो उसे पता चलता है की उस बुढ़िया का बेटा उसी के ही रानी के लिए रथ चलता है परंतु वेश बदला होने के कारण रानी राजा को पहचान नही पाती। रानी राजा से बोलती है “मुझे पास वाले बगीचे में ले चलो”। राजा रानी को बगीचे में ले जाता है तो राजा देखता है की रानी का किसी और आदमी से चक्कर चल रहा होता है।

                                    ये सब देख रहा राजा धोबी की बातें याद करते हुए सोचता है की धोबी सही ही कह रहा था की शादी के बाद अपनी पत्नी को माईके में नही रखना चाहिए और उसकी ये बाते भी सच है की अपना राज और वेश किसी को नहीं बताना चाहिए क्योंकि अगर राजा उस बुढ़िया को बता देता की वह राजा है तो बुढ़िया उसे काम नही देती और उसे अपनी पत्नी का राज पता नही चलता‌ और अगर राजा ने अपना वेश नही बदला होता तो रानी उसे पहचान लेती।

                       राजा अपने राज्य वापस जाने के लिए बुढ़िया के घर जाते हुए सोच रहा था की धोबी की अपने से छोटों के पास काम न करने वाली बात तो गलत निकली बल्कि इसे तो मेरा लाभ हुआ और में अपनी पत्नी की सच्चाई जान गया। 

                       राजा बुढ़िया के घर पे पहुंचकर अपने काम का पैसा मांगता हैं तो बुढ़िया गुस्से से कहती है की "अब किस बात का पैसा चाहिए तुझे रहने के लिए घर दिया और जो इतना ठूस ठूस के खाता था वो मुफ्त का नही आता है उसके भी पैसे लगते है“ इतना सुनने के बाद राजा सोचता है की धोबी की अपनो से छोटों के पास नोकरी न करने वाली भी बात सच है”।

                             राजा बिना पैसे के अपने राज्य काफी मुस्किल से पहुंचता है।अपने राज्य वापस आ के रानी को पत्रों के माध्यम से जेसे तेसे वापस बुलाया और एक चाल चली नदी के किनारे एक गड्ढा खुदा के उसमे किले डाल दी और रानी को घूमने के बहाने से बुलाया और रानी को उसमे गिरा दिया। 

              ये सब होने के बाद राजा धोबी को बुलाता है और धोबी डरते हुए राजमहल में आता है और सोचने लगता है की मैंने क्या किया होगा पता नही राजा मुझे किस बात की सजा देने के लिए बुला रहा है अगले ही पल राजा आता है और धोबी को चार लाख रूपए देता है और कहता है की “ये चार लाख उन चार महत्वपूर्ण बातो के लिए जो मैने तुमसे जानी” और इस तरह धोबी को चार बात चार लाख की पड़ी। 

Comments
Shivansh Goswami - Sep 23, 2022, 7:51 PM - Add Reply

Nice story

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