प्यार की कोई परिभाषा नही है।

प्यार और पूजा दोनो एक समान है।

यूं तो लोग प्यार के बारे में कई तरह के शब्द कह सकते है। प्यार एक तरफा हो चाहे दोनो तरफा । प्यार हमेशा त्याग बलिदान के नींद पर बना है। जिसमे दिल में प्यार बसा हो। वह दिल खुदा के घर के समान है। प्यार इबादत है तो कही प्यार पूजा है। प्यार जुदाई भी है तो कही प्यार मिलन भी है। प्यार कभी पाने का नाम नही है। कही सब कुछ गंवाने वाले भी प्यार की दुआई देते है। पता नही लोग नफरत कैसे कर पाते है। एक जीवन भी प्यार के लिये कम होता है । प्यार जनम जनम का बन्धन है। उदाहरण के लिये एक कहानी प्रस्तुत है।

शीर्षक - तेरे संग जीना तेरे संग मरना ।

एक समय की बात है। किसी गांव में एक उच्च परिवार रहता था। बाल विवाह प्रचलित था।  पूजा का विवाह बचपन में हो चुका था ' सिर्फ विदाई बाकी थी। जिस लड़के से उसका विवाह हुआ था। वह अक्सर पूजा के गांव में आया जाया करता था । "देख में एक सुन्दर सुशील नवयौवक । " उसका नाम पदम था ' ' पदम हर प्रकार से पूजा को दिल से प्यार करता था . "बस मौका मिलते ही चला जाता था। उससे  मिलने " धीरे धीरे समय बीत ने लगा ' पूजा की विदाई हो गई। पूजा और पदम दोनो बहुत खुश थे। पदम अपने माता पिता की इकलौती संतान होने के नाते। घर में सभी का चहता था। समपन्न परिवार होने के कारण पैसो की कोई कमी नही थी। दोनो परिवार कृषि प्रदान थे । बहुत सारी जमीन जायदाद का वारिश पदम अपने लिये कुछ और कारोबार करना चाहता था। एक दिन पूजा खेत में कार्य कर रही थी। कि अचानक पदम आता दिखाई दिया । पूजा पदम के पास गई और बोली " अररे इतनी कड़क धुप में तुम यहां कैसे आये। " धुप में ये गोरा रंग काला पड़ गया तो " पूजा ने हँसते हसते कहां " पदम ने कहां - - घर में तो तुम रसोई घर में काम करती रहती हो। मुझसे बात करन ना टाइम कहा है तुम्हारे पास " तो सोचा कि खेत पर ही बात कर लूं । ऐसा कहते हुए पदम पूजा का हाथ पकड कर पेड़ की छांव तले ले जाता है। दोनो पेड़ की छांव तले बैठे जाते है। पूजा अपने दुपट्टे से पदम का चेहरा साफ करती है। और पूछती है " तो साहब अब बोलो क्या बात करती है अपनी पूजा से "? पदम थोड़ा मासूम सा चेहरा बनाकर बोलता है। " पूजा मेरे माता पिता के पास इतना पैसा है ' कि अगर हमारी सात पीढ़ी भी बैठकर खाये तो भी कम नही पड़ेगा। . पर में अपने दम पर कुछ काम करके दिखाना चाहता हूं । इसीलिए अपने मित्रों के साथ बाहर विदेश में कमाने जाने की तैयारी कर रहा हूं । मेरे एक मित्र ने अपने साथ व्यापार करने के लिये कहा है। तो तुम्हारी राय क्या है, यही जानना है।? ". ओ हो हो तो साहब अब व्यवसाय करता चाहते है। " अपना चहेरा देखा है तुमने " कैसे रह पाओगे अखेले विदेश में। "? अररे अररे तुम चिंता मत करो साल भर में वापस आ जाऊंगा । " बस तुम मेरा साथ दो यहां रहकर मेरे वृद्ध माता पिता की देखभाल करो। और में वहां अपना व्यापार करूगा । .. ठीक है। जैसी तुम्हारी इच्छा " कहते हुए पूजा ने स्वीकृति दे दी। पदम विदेशी जाने की तैयरी में लग गया। और कुछ पैसे और किमती सामान अपने मित्रो के कहने के अनुसार सुटकेस में रख लिए । दुसरे दिन प्रातःकाल खेत की मुंडेर पर पूजा खड़ी थी। तब पदम उसके पास जाकर बोला - - मुझे जाने की इजाजत दो " पूजा ने बडे प्यार से अपने गले का लाकेट उतार कर पदम के गले में डाल दिया। और कहा " जब भी मेरी याद आये तो इसम मेरी फोटो को देख लेना " और किसी प्रकार से चिंता और फिक्र मत करना । " हां पता हैं मेरी पूजा एक बहादुर नारी है" कहते हुए अपनी पत्नी को गले लगाकर पदम वहां विदा हो गया। " पूजा का दिल तो कर रहा था कि पदम से कह दे मत जाओं " पदम ' पर पदम की कुछ करने की इच्छा के आगे वह कुछ नही बोली। पदम और पदम के मित्र अपने गांव को छोड़कर दूसरे शहर की तरफ चले जाते है। सभी मित्र बहुत खुश थे । पदम के पास इतना रुपया था .. कि पदम के मित्रो के मन में लालच आ गई ' वह किसी भी प्रकार से पदम का रुपया पैसा लेना चाहते थे । सभी मित्र पदम के साथ एक होटल में रुके। रात्री भोजन के समय पदम को कुछ बेहोशी की दवा खिलाकर उसक सारा रुपया पैसा लेकर पदम को एक पहाड़ी से नीचे फैंक देते हैं। और होटल छोड़का वहां से चले जाते हैं। पहाडी के नीचे के रास्ते से कुछ साधुओं का निकलना हुआ और उनकी नजर पदम पर पड़ी। पदम की  चल रही थी। वह पदम को उठाकर आश्रम में ले आये। पदम के सिर पर चोट लगने के कारण वद कोमा में जा चुका था। साधु बडे दयालु स्वभाव के थे ' पदम की देखभाल करने लगे। बस भगवान से यही प्रार्थना करते थे 'कि पदम को होश आ जाये। और वह अपने परिवार से मिल सके।

इधर पूजा प्रति दिन अपने पति की लौट आने की राह देखने लगी। पूजा की आंखे तरस गई राह देखते देखते . " पूजा का मन कहता कि क्यों जाने दिया पदम को " क्या यही रहकर काम नही कर सकता था" पर दिल के आगे किसी का जोर नही चलता है। . पदम की खुशी ही पूजा की खुशी थी। समय पंख लगाकर उड़ने लगा। अब एक साल : - - दो साल - करते करते सात साल बित गये । पदम के माता पिता की बेटे के गम में मृत्यु हो चुकी थी। पूजा के अखेले होने के कारण उसके माता पिता उसे अपने साथ ले गये। पदम की कोई खबर ना कोई चिट्टी पत्री आती और ना कोई संदेश ही आता। "कभी कभी तो मन में ये ख्याल आता कि कही पदम ने पूजा को धोखा तो नही दे दिया है। " अररे अररे पूजा विश्वास रख अपने प्यार पर यूं शक करना अच्छी बात नही हा पूजा का दिल यही कह उठता था। लगभग दस साल बित गये। पूजा के वृद्ध माता पिता ने पूजा का दुसर विवाह करा दिया था। और अपनी अन्तिम सांसो को विराम देखकर इस दुनिया से चले गये। पूजा आज भी पदम का इन्तजार कर रही थी। भले ही दुसरा विवाह कर दिया गया हो। दुसरा विवाह इसीलिये ताकि दुनिय ताने ना मारे " कोई बुरी नजर ना डाले। ' तन मन से तो पूजा पदम की ही थी। " एक दिन पूजा . पैदल किसी काम से अपनी सहेलियो के साथ जा रही थी। कि अचानक कुछ साधुओं की टोली गातों बजाते उस रास्ते से निकल रहे थे। और एक व्यक्ति दौड़कर पूजा के पास आया ' और बोला पूजा में आ गया। व्यक्ति की ढाड़ बढी हुई थी। पहचान करना मुश्किल था। अपने गले का लाकेट दिखाया तब पूजा ने कहां अररे ये तो पदम है " पूजा ने पदम को पहचान लिया ' पदम ने अपने साथ हुई सारी दास्तान पूजा को बताई " सारी बात सुनने के बाद कुछ दुःखी स्वर में पूजा ने कहा "  देर कर दी पदम लौट आने मे अब पूजा तुम्हारी नही रही " कहते हुए पूजा जमीन पर गिर पडी और अपने प्राणों की आहुति दे दी। जैसे ही पूजा के प्राण निकले । कि पदम ने भी अपना शरीर त्याग दिया । दोनो प्रेमी युगल की शव यात्रा साथ -साथ निकाली गई। शायद अभी उनका मिलन आधा अधुरा था। इसीलिए साथ जी ना सके तो क्या हुआ साथ मर तो सके।

. इस कहानी से सिर्फ प्यार पवित्र रिश्ता ही नजर आता है प्यार करो तो हद से ज्यादा करो।

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