मुसलमानों की पसमांदगी और उसका हल

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आज के दौर में जब दुनिया की हर कौम तरक्की कर रही लेकिन मुस्लिम समाज ही एक ऐसा समाज है जो आज के इस दौर में पसमांदगी की ज़िंदगी जी रहा है और उसकी वजह तालीम से राब्ता टूटना यानि इल्म से दूर होना।

 

मुसलमानों की पसमांदगी-- मुसलमानों का पिछड़ना और पसमांदा होने की आज सबसे बड़ी वजह है इल्म से दूरी, क्योंकि इल्म ही एक ऐसी रोशनी है जो इंसानी समाज की कामयाबी का ज़िम्मेदार है।

आज का मुस्लिम समाज खास तौर पर भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और कई देश जिनमें मुसलमान अच्छी खासी संख्या में हैं लेकिन कोई फायदा नहीं।

अगर भारत के मुसलमानों की बात की जाए तो महमुदुर्रहमान कमेटी की रिपोर्ट, जस्टिस जैन की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमान भारत में सबसे ज़्यादा पसमांदा हैं, और जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट अनुसार तो भारत का मुसलमान देश का दोयम दर्जे का नागरिक भी नहीं है क्योंकि किसी भी सरकारी काम या नौकरी में उसकी हैसियत और उपस्थिति न के बराबर है।

 

हल-- मुसलमानों की पसमांदगी का सबसे बड़ा इलाज है तालीम।

तालीम चाहे दीन की हो या दुनियावी दोनों हासिल की जाए।

"अल्लाह के रसूल सल्ल० ने फरमाया इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फ़र्ज़ है।"

"एक दूसरी जगह फरमाया इल्म हासिल करो चाहे चीन जाना पड़े।"

तालीम के बगैर दुनिया की कोई कौम चाहे कितनी ही ताकतवर, मालदार क्यों न हो वो तरक्की नहीं कर सकती इसलिए मुसलमानों में इल्म की अहमियत उसका शऊर पैदा करना ज़रूरी है।

तालीम के साथ साथ पंचुआलिटी, कॉन्फिडेंस और हौसला अफजाई भी ज़रूरी है।

 

ज़रिया-- जो मुसलमान पढ़े लिखे हैं माल ओ दौलत वाले हैं उनको चाहिए कि वो अपनी कौम की फ़िक्र करे और अपने ओहदे का सही इस्तेमाल करे अपने पैसों को सही जगह लगाए स्कूल, कॉलेजेस और यूनिवर्सिटी कायम करें और गरीब व मजलूमों लोगों को फ्री तालीम का निज़ाम बनाए ताकि आने वाली नस्लें एक आलिम के साथ साथ डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट बने।

मिसाल के तौर पर आज के दौर में भी बड़े बड़े आलिम भी डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट हैं जैसे हाफ़िज़ पीर ज़ुल्फ़िक़ार अहमद नक्शबंदी बड़े आलिम दीन है साथ ही एक चीफ इंजीनियर भी हैं और मुफ्ती ताकि उस्मानी बड़े मुफ्ती हैं और साथ ही एक जस्टिस और बैंकिंग स्पेशलिस्ट हैं।

इनके अलावा भारत में भी एक मशहूर साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम साहब थे जिन्होंने भारत को वो मिसाइल बना कर दी जो दुनिया में किसी देश के पास नहीं इसी तरह मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।

इसलिए तारीख़ पढ़ो और आगे बढ़ो।

 

शिक्षा-- हमें तारीख़ से मालूम चलता है कि मुसलमानों ने इस दुनिया को वो सबकुछ दिया जो दूसरी कौमे सोच भी नहीं सकती थी।

1400 सौ साल पहले एक रेगिस्तानी मुल्क से पूरी दुनिया को इल्म व हिकमत की बुनियाद पर मुसलमानों ने दुनिया को फतह किया था और को हर मैदान के माहिरीन दिए थे अब भी इनमें वो ताकत है सिर्फ एक इल्म की कमी है।

 

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