रिश्ता दोस्ती का.
याद है वो दिन जब दोस्तों से मिले थे?
क्या पता था ज़िन्दगी के सबसे हसीन सिलसिले थे.
रोज़ की वो बातें,
दिन भर की तेरी कहानियाँ.
तेरा हसना, मुझसे रूठना
और वो मेरे घर के दरवाज़े पे आकर कंधो पर रोकर टूटना.
दुनिया से परे,
हमारी वो मीठी चाय.
सही गलत की समझ ना सहीं
दुख - सुख पर साथ बेशक निभाएं .
ज़िन्दगी में गिरने पर,
जब कुछ समझ ना आया.
सब ने सिर्फ अफसोस जताया,
तब तूने उठ कर चलना सिखाया.
खुद आगे बढ़ते हुए,
मुझे सही राह बतलाया.
मतलबी सी दुनिया में,
परिवार सा प्यार दिखाया.
याद है वो दिन जब दोस्तों से मिले थे?
क्या पता था ज़िन्दगी के सबसे हसीन सिलसिले थे.
गलत थे हम जब नज़रों में सबकी,
तब भी रहे भरोसा करके मुझपर ,
बिना सोचे इस जग की.
जेब में जब सिक्के ना थे मेरे,
खुशियों की कमी होने ना दी मेरे हिस्से में.
यारो ने बुरा महसूस होने ना दिया,
मुझे अकेले कभी रोने ना दिया.
इश्क़ का जुनून हमें ना सही,
यारी के सुकून से मिलाया.
दिल दुखाए जब दुनिया,
गले लगाकर जो तूने हसाया.
वक़्त बदलते देखा हमने,
तुम्हे कभी बदलते नहीं देखा.
झूठे वादों से भरे किस्सो में,
वफा की काहानी जैसे तुम.
खुद की नज़र में कुछ नहीं जब मैं ,
तब भी सबसे अज़ीज़ रखते तुम.
उम्मीदें नहीं हमे ,
की समझे दुनिया यारी हमारी.
कैसे दुनिया यारी को समझे,
खुद हज़ार मुखौटो की मारी.
जात और धर्म के आगे,
सब तोलती जाती वो.
खुशियों की कदर नहीं,
लोगों की सोच से डरती जाती वो.
बेफिक्र सी यारी हमारी,
तुझसे ही शुरू, तुझपर ही खत्म.
याद है वो दिन जब दोस्तों से मिले थे?
क्या पता था ज़िन्दगी के सबसे हसीन सिलसिले थे.
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