सपनों का मुसाफिर, Episode 1

यह कहानी है अमृत की, अमृत एक 17 वर्ष का लड़का है ।

वह अपनी मां के साथ शहर में रहता है , उसकी मां शहर के एक बैंक में नौकरी करती है। अमृत के पिताजी का देहांत हुए 1 साल हो गए है,उनकी मृत्यु एक सड़क दुर्घटना में हुई थी। अमृत अपने पापा की मृत्यु के बाद उदास रहने लगा वह पढ़ाई में तो अच्छा था पर वह आजकल ठीक से पढ़ाई नही कर पा रहा था ।
अमृत के स्कूल में ज्यादा दोस्त नही थे बस एक दोस्त था जिसके साथ वह रहता था उसका नाम राजेश है। राजेश उसकी पढ़ने में मदद करता है । अमृत एक होनहार लड़का है पर वह अभी दुखी रहने लगा था ,इसलिए पढ़ नही पा रहा था।

कहानी शुरू:-
डोरबेल की आवाज आती है ... ट्रिंग, ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग......
राधा (अमृत की मां) कहती है ,अमृत देखो बेटा दरवाजे पर कोई है । जाकर दरवाजा खोलो देखो राजेश आया होगा । हां मां खोलता हूं...............................।
अमृत दरवाजा खोलता है तो वह जो देखता है उसे उस दृश्य पर विश्वास नहीं होता है। कौन है बेटा यह कहते हुए राधा दरवाजे पर आती है। अमृत अब भी दरवाजे पर एक बुत बनकर खड़ा था । रिया बेटा तुम ,क्या हुआ कैसे आना हुआ? कैसी हो तुम आओ अंदर आओ । राधा कहती है अमृत उसे हेलो बोलो बेटा ......
ह...हेलो रिया कैसी हो तुम?अमृत दबी हुई आवाज में कहता है,जैसे रिया को देखकर ही उसका गला सुख गया हो।रिया अमृत की ही क्लास में पढ़ती है।अमृत रिया को पसंद करता है। और यह बात सिर्फ राजेश को पता है ।हां में ठीक हु ,रिया कहती है।थैंक्स।बेटा रिया को अंदर बुलाओ यह कहकर राधा अंदर राशोई घर में चली जाती है।
अमृत उसे हॉल में लाता है, क्या हुआ रिया बोलो?
अमृत अपनी तेज धड़कते हुए दिल को शांत करते हुए पूछता है।
रिया कहती है की कल मेरा बर्थडे है। मेरे घर में मेरे बर्थडे की पार्टी रखी गई है, तो इसलिए में तुम्हे इनवाइट करने आई हूं। मैंने सभी को बुला लिया है ,तुम ही बाकी रह गए हो । ओह हां मुझे याद है कल तुम्हारा बर्थडे है ,अमृत अपने सर पर हाथ फेरते हुए कहता है। वह मुस्कुराता है और कहता है मैं जरूर आऊंगा।इतने में अमृत की मां आ जाती है, लो बच्चो मेने तुम्हारे लिए खीर बनाई है । अमृत को खीर बहुत पसंद है , ओह में तो पानी लाना ही भूल गई तुमलोग खीर खाओ मैं पानी लाती हूं यह कहकर राधा वहां से चली जाती है। वह दोनो बैठकर खीर खाते है। वातावरण में शांति छाई हुई है , वह दोनो चुपचाप है।बिलकुल शांति..... अमृत एक शर्मिला लड़का है वह लड़कियों से ठीक से बात नहीं कर पाता । यह लो बेटा पानी पी लो अब राधा वहां आ चुकी है , रिया पानी पीकर कहती है की अब शाम हो रही है मुझे घर भी जाना है तो में चलती हूं।रिया अब वहां से चली जाती है।
अमृत बेटा रिया क्या करने आई थी , अमृत किसी सोच में डूबा हुआ था वह अब भी शांत था । उसकी मां फिर एक बार पूछती है, बोलो बेटा वह मां वह कल रिया का बर्थडे है तो वह मुझे इन्वाइट करने आई थी। वाह यह तो बहुत अच्छी बात है , कल सुबह ही तुम रिया के लिए एक अच्छा सा गिफ्ट ले लेना ओके।
हां मां यह कहकर अमृत अपने रूम में चला जाता है। एक गहरी सांस लेता है ,अमृत और एक गहरी सोच में पड़ जाता है। अमृत अब वह दिन याद कर रहा है । जिस दिन उसने रिया को पहली बार देखा था।
              वह मार्च का महीना था , रिया अपने पापा के साथ स्कूल में दाखिला लेने आई थी। तब उस दिन रिया को पहली बार देखकर अमृत को एक अनजानी सी खुशी हुई थी । वह बहुत खुश था वह रिया को उसी दिन से पसंद करने लगा । रिया उस दिन के बाद स्कूल नही आई अमृत रोज स्कूल जाता था ताकि उसे रिया फिर दिख जाए पर रिया नही आई । फिर स्कूल में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई । लगभग एक महीना गुजर गया ।।।।।।
पर इस एक महीने में एक भी दिन ऐसा नही गुजरा जब अमृत ने रिया को याद ना किया हो ।।।।।।
अब स्कूल खुल चुका है , अमृत फिर स्कूल जाने लगा वह अब भी इसी आस में रहता था की रिया आज आयेगी ,आज आयेगी इसी तरह एक सप्ताह गुजर गया , पर रिया नही आई। आज सोमवार का दिन है ,अमृत रोज की तरह तैयार होकर स्कूल आ गया। आज भी वह स्कूल के मैन गेट के पास खड़ा होकर रिया का इंतजार कर रहा था, इतने में स्कूल की बेल बज गई तो इसलिए अमृत अपनी क्लास में चला गया । अब सभी विद्यार्थीयो को प्रार्थना करने के लिए , हॉल में बुलाया गया । सभी आंख बंद करके प्रार्थना कर रहे थे चारो ओर शांति छाई हुई थी, की तभी हॉल में कदमों की आवाज गूंजने लगी।किसी ने अपनी आंखे नही खोली लेकिन अमृत तो पहले से ही रिया का इंतजार कर रहा था । इसीलिए उसने अपनी आंखे धीरे धीरे खोली तो उसने देखा कि एक लड़की शिक्षिका से बात कर रही थी। एक लड़के का हाथ बीच में आ रहा है, इसी वजह से अमृत उस लड़की का चेहरा नही देख पा रहा है। वह लड़की अब अपनी क्लास रूम की तरफ जा रही थी, अमृत की आंखे अब भी खुली है वह उस लड़की का चेहरा देखना चाहता है, पर कुछ न कुछ ऐसा हो ही जाता है की वह देख ही नहीं पाता । शिक्षिका ने अमृत को देख लिया तो उन्होंने उसे डांटा और आंखे बंद करने को कही इतने में वह लड़की क्लास रूम से बाहर निकल कर अपनी कतार में लग जाती है । भाग्यवश वह अमृत के सीधे ही खड़ी हुई है, अब अमृत का दिल जोर जोर से धड़कने लगा उसने तेजी दिखाईं और आंखे खोली और सिर घुमाकर देख ही लिया की वह कौन है। अमृत ने एक बहुत ही मंद मुस्कान भरी और अपनी आंखे बंद कर ली इसके चेहरे पर कुछ ऐसे भाव थे की मानो वह अब संतुष्ट हो गया है , और अब उसे जीवन में कुछ और नही चाहिए। प्रार्थना खत्म होने के बाद अब अपनी क्लास में जा रहे थे उसने रिया को देखा और मुस्कुराया पर रिया ने तो उसकी ओर देखा तक नहीं । फिर भी अमृत खुश है क्योंकि इतने दिनो के बाद आज उसने रिया को देखा था। क्लासेस खतम हो गई और ब्रेक की बेल बज गई अब सभी स्टूडेंट्स बाहर निकल आए । अब अमृत के दिमाग में कुछ चल रहा था , वह सोच रहा था की उसने रिया को पहले कहीं तो देखा है , पर उसे याद नही आ रहा था । इतने में रिया अपनी दोस्त के साथ बाहर आई ,अमृत सोच रहा था की वह रिया से बात करे पर वह  हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा था उसका गला सुखा जा रहा था अब रिया उसके पास से गुजरने वाली थी, और वह निकल भी गई । अमृत ने जैसे तैसे हिम्मत जुटाई और उसे पुकारा रिया..... रिया पलटी और बोली हां बोलिए । तो अब अमृत की बारी थी अमृत की तो अब बोलती बंद हो गई उसने जो भी सोचा था वह सब भूल गया । उसे रिया की आवाज इतनी मधुर लगी की वह उस आवाज को और सुनना चाहता था , तथा उसे पहली बार किसी ने बोलिए (आप)कहकर बात की थी।रिया ने फिर कहा बोलिए क्या बात है? इस बार अमृत ने हिम्मत दिखाई और बोला हेलो मेरा नाम अमृत है क्या हम पहले कही मिले है, मुझे ऐसा लगता है की आपको कुछ याद है । मुझे याद नही आ रहा है। हां यह किसी पुरानी फिल्म का घिसा पिटा डायलॉग है, और रिया को भी यही लगा कि अमृत डायलॉग मारकर उसे इंप्रेस करना चाहता है। रिया ने जवाब दिया शायद नही मुझे याद नहीं आ रहा है , वैसे मेरा नाम रिया है । ओके तो अब में चलती हूं, यह कहकर वह वहां से चली गई । रिया के जाते ही अमृत खुद को डाटने लगा वह कहता है की कैसा लड़का हूं मैं बात करनी भी नही आती मुझे छी वह क्या सोच रही होगी मेरे बारे में।अब अमृत अपनी क्लास में वापस आ गया । उसके पुराने  दोस्त भी उसकी क्लास में ही पढ़ते थे( अमृत पहले किसी दूसरे विद्यालय में पढ़ता था अब उसने उच्च विद्यालय में दाखिला लिया है) । एक दोस्त ने यह दृश्य देख लिया और अब वह अमृत को चिढ़ाने लगे ,जैसा कि हर लड़के के जीवन में होता है।
                     अमृत ने उनका कोई जवाब नही दिया वह तो बस दिन भर यह सोचता रहता की , वह ऐसा क्या करे की रिया से उसकी बात हो पाए। वह प्रतिदिन स्कूल जाता था और सोच कर जाता था की रिया से कैसे बात करे क्या करे पर हर बार उसे अफसोस और निराशा के अलावा कुछ और नही मिलता । फिर भी वह हार नहीं मानता था।कभी कभार रिया उसकी तरफ देख लेती थी, बस उस दो सेकंड की आंखों के में से ही उसे बहुत खुशी मिलती थी।ऐसे ऐसे पूरे दो महीने गुजर गए अमृत पढ़ाई में तो अच्छा था पर वह आजकल हर वक्त रिया के बारे में ही सोचता रहता था इसलिए वह पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पा रहा था ।
वह बस यह सोचता रहता की वह रिया का दोस्त कैसे बने। दिन पार होते गए और अमृत सोचता गया , आखिर तीन महीने बाद अब वह विषय मिल ही गया अमृत को की वह रिया से दोस्ती कर पाए, और अब उसने ठान लिया की उसने जो सोचा है वह पूरा करके दिखाएगा ।

          तो अब यह देखना है की क्या वह अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा, आपको अब तक की कहानी कैसी लगी please comment. आगे की कहानी कल आयेगी। धन्यवाद।।।।।।। 

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