वो गुलाब तो नही थी, पर हाँ गुलाब के काटो जैसी जरूर थी वो। खूबसूरती की हिफाज़त करती छोटी सी पर खतरनाक। उसकी तरह ही हमारी प्रेम कहानी बहुत ही अजीब ओर खतरनाक है, ओर उस से भी अजीब ओर खतरनाक हमारी पहली मुलाकात थी। मैं पिछले चार महीनों से उसके पीछे पड़ा था, पर मोहतरमा ने कभी मुड कर भी नही देखा। उसका स्कूल छूटने से पहले उसके स्कूल के दरवाजे पर पहुंच जाता था मैं, उसका ध्यान पहनी तरफ आकर्षित करने के लिए मत पूछो मेने क्या कुछ नही किया पर फिर भी मोहतरमा कभी नही देखती थी, हाँ कभी कभी मुस्कुरा देती तो इसा लगता था, जैसे सब हासिल कर लिया हो। पर फिर बारी हमारी पहली मुलाकात की, वैसे उस दिन पहली बार उसका फ़ोन आया मेरे पास। मतलब की जो लड़की कभी मुड़ कर भी नही देखती थी आज उसका फोन आया था आगे से, विश्वास नही हो रहा है ना , मुझे भी नही हुआ था, पर ये सच था। उसका फ़ोन भी आया था और उसने मुझे मिलने भी बुलाया था। मैं भी पागल था फ़ोन के कट होते ही तैयार होकर पहुँच गया, उस से मिलने के लिए। उसने मुझे अपने स्कूल के बाहर बुलाया था। मेरे वहां पहुंचते ही मेने उसे नमस्ते कहा और इस नमस्ते के जवाब में उसने मुझसे पूछा क्या तुम अठारह साल से ज्यादा हो। ये सवाल सुन कर मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नही रहा। मैं तो ख्वाबो में मंडप तक पहुंच गया था, ओर मेने मुस्कुराते हुए कहा मेने तो अठारा से ऊपर का हु पर शायद आप नहीं हो। मोहतरमा ने पहले अपनी मुंडी हिलाई ओर फिर मेरा हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने स्कूल के अंदर ले गयी। जो लड़की कभी मुड़ कर भी नही देखती थी आज वो मेरा पकड़ कर अपने स्कूल के अंदर ले जा रही थी। सच्ची मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था, ओर शायद नही करता तो ही ठीक था। सच्च मानो बहुत बड़ा झोल था। उसने जब हाथ पकड़ा तो मैं सब भूल गया था, मुझे उसके सिवाए ओर कुछ नहीं दिख रहा था, ओर यही हुई गड़बड़ मुझे उसके स्कूल के बाहर लगा रक्त दान का बोर्ड भी नहीं दिखा। जब तक कुछ समझ आता तब तक तो मैं हाथ मे पिले रंग की गेंद को दबाते हुए एक बोतल खून दे चुका था। सुना था कि प्रेमिकाएं खून पी जाती है, पर यहां तो प्रेमिका बनने से पहले ही इसने मेरा दो बोतल खून पी लिया था। मेरा मतलब है कि दान करवा दिया था। हाथो से सुई निकलते ही मेरे हाथो में उसने एक सर्टिफिकेट ओर एक जूस की बोतल पकड़ा दी, ओर वो वहाँ से चली गई। वैसे गलती उसकी भी नहीं है, अगर काटे को हाथ लगाओगे तो खून तो निकलेगा ही ना, ओर इस बार तो खुद काटे ने हाथ लगाया था। जिंदगी में पहली बार सरीर से खून निकला था, ओर वो भी सीधा दो बोतल मेरी तो हालत खराब थी। मुझे हाथ पड़े हुए जाता देख उसने पीछे से आवाज देकर कहा ओए सुन क्या हुआ। अब दो बोतल खून को ऐसे ही व्यर्थ तो नही जाने दे शकता था मैं। तो मैने उस से कह दिया कि पहली बार खून देने की वजह से मुझे बहुत चक्र आ रहे है। इतना सुन कर उसने कहा तो फिर ठीक है तू रुक मैं तुझे छोड़ देती हूँ तेरे घर। चलो खून किसी काम तो आया। जितना खून दिया था उस से ज्यादा खून यह सुन कर ही बढ़ गया कि वो मुझे मेरे घर तक छोड़ने आएगी।
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