बेबी हैल्थ केयर टिप्स, शिशु की देखभाल करने के 18तरीके baby care

बेबी केयर टिप्स

जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो केवल बच्चे का ही नहीं एक मां का भी जन्म होता है मा बनना हर  एक महिला के लिए बहुत ही सुखद एहसास होता है परंतु जब भी कोई महिला पहली बार मां बनती है तो उसे अपने बच्चे की देखभाल के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है इसलिए आज हम  इस लेख के माध्यम से हम आपको बेबी हेल्थ केयर के टिप्स देंगे जिससे आप एक अच्छी देखभाल कर सकते हैं और उसकी गतिविधियों पर भी ध्यान दे सकते हैं बच्चे की देखभाल में आपको बच्चे कि साफ सफाई खान पान और खुद की सफाई और पोषण का भी ध्यान भी रखना चाहिए

बेबी हैल्थ केयर टिप्स, शिशु की देखभाल के  18 तरीके

साफ सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखना

जब भी कोई मां बच्चे को जन्म देती हैं उसके बाद उसे साफ सफाई और स्वच्छता का विशेष करके ध्यान रखना चाहिए क्योंकि  शिशु का शरीर बहुत ही नाजुक होता है और उसे किसी भी प्रकार का संक्रमण या इंफेक्शन बहुत जिलदी हो सकता है इसलिए मा को अपना और शिशु दोनों की सफाई और स्वच्छता का विशेष करके ध्यान रखना चाहिए कभी भी शिशु को उठाने से पहले अपने हाथ को अच्छे से साबुन से धो लेना चाहिए या सनिटाइज कर लेना चाहिए और यदि मां बाथरूम, टॉयलेट जाती है तो उसे वहां से कपड़े बदल कर आना चाहिए यदि मां खाना भी खा रही है तो उसके बाद अपने हाथों को अच्छी प्रकार से धो लेना चाहिए उसके बाद हि बच्चे को उठना चाहिए

बच्चे की गर्भनाल umblical cord का ध्यान रखना

जब भी कोई बच्चा पैदा होता है तो उसके साथ उसकी गर्भनाल जुड़ी होती है गर्भनाल का  विशेषकर ध्यान रखना जरूरी होता है इसे हमेशा नमी से दूर रखना होता है क्योंकि इसगर्भनाल के थ्रू इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है 
गर्भनाल को हमेशा सूखा ही रखना चाहिए बच्चे के मल मूत्र से गर्भनाल को दूर रखना चाहिए और गर्भनाल की सफाई करते वक्त पहले से ही साबुन से अच्छी प्रकार हाथ धो कर सुखा लेनी चाहिए

बच्चे को सही प्रकार से गोद में लेना

जब भी कोई नवजात शिशु को उठाता है तो उसे सही प्रकार से गोद में लेना चाहिए या सही प्रकार से उठाना चाहिए क्योंकि बच्चे का शरीर बहुत ही नाजुक होता है उसकी मांसपेशियां बहुत ही नाजुक होती है इसलिए यदि बच्चे को सही प्रकार से ना उठाया जाए तो उसके शरीर में समस्या हो सकती है उसकी हड्डियों और मस्तिष्क पर दबाव बढ़ सकता है इसलिए बच्चे को सही प्रकार से उठाना चाहिए  बच्चे को सही प्रकार से उठाने का तरीका बच्चे के सिर के नीचे हाथ डालना यानी सिर को हाथ का सहारा देना और कमर के नीचे से पकड़ना होता है क्योंकि बच्चे का मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी बहुत ही लचीली होती है

बच्चे को हिलाना और उछालना नहीं चाहिए

जब भी बच्चा रोता है तो कई बार  लोग बच्चे को हिलाना शुरू कर देते हैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मस्तिष्क पर चोट लगने का खतरा भी हो सकता है या बच्चे को डर लगने जैसी समस्या भी हो सकती है इसलिए बच्चे को हिलाना नहीं चाहिए यदि बच्चा रोता है तो धीरे-धीरे हल्के कदमों से चलें और उसे लोरी और गाने सुनाएं ऐसे में बच्चा चुप हो जाएगा 

बच्चे को उछालना नहीं चाहिए

बच्चों को उछालना कभी नहीं चाहिए जब बच्चा पैदा होता है तो उसका दिल बहुत ही ज्यादा कमजोर होता है कभी-कभी तो वह ऐसा डर को सहन नहीं कर पाता इसलिए बच्चे को कभी भी नहीं उछालना चाहिए

डायपर को बदलना diaper care

एक स्वस्थ बच्चा दिन में कई बार पेशाब करता है कई बार मल करता है इसलिए मा को बच्चे के डायपर का विशेष करके ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को संक्रमण का खतरा हो सकता हैं इसलिए मां को बार-बार बच्चे का डाइपर चेक करना चाहिए और उसे बदलना चाहिएऔर ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए कि यदि डायपर खराब ना हुआ हो तो उसे ना बदलें डायपर को 3-4घंटे के अंदर बदल दे

बच्चे को फीडिंग कराना

मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे को समय-समय पर  फीडिंग करवाते रहें बच्चे को ब्रेस्टफीड 2- 2 घंटे में करानी चाहिए और मा को बच्चे को अपना ही दूध पिलाना चाहिए और दूध पिलाते समय सही पोजिशन लेनी चाहिए जिससे बच्चा सही प्रकार से दूध पी लें मां को विशेष करके यह ध्यान देना चाहिए बच्चे का दूध पी कर पेट भर भी रहा है या नहीं ! यदि बच्चे को दूध पूरा नहीं होता तो डॉक्टर की सलाह से बाहर के दूध का इस्तेमाल करे
 

 बरप( डकार ) जरूर कराएं

जब भी बच्चा दूध पीता है उसके बाद उसे ब्रप जरूर  दिलाना चाहिए इससे यह पता चलता है कि बच्चे ने सही प्रकार से दूध पी लिया है दूध पिलाने के बाद बच्चे को हल्का सा उठाकर उसके पीठ पर हल्का सा थपथपाना चाहिए जिससे वह डकार ले ले ईसे हवा पास करना भी कहते है

 मां और बच्चे को स्किन टच करना

जब बच्चा पैदा हो जाता है उसके बाद बच्चे को अधिकतम मां के पास ही दिया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे बच्चे का शरीर का तापमान सही प्रकार से बना होता है और इससे मां और बच्चे के बीच में एक बॉन्डिंग भी बनती है जिसे हम कंगारू केयर भी कहते हैं इससे बच्चे की शरीर को गर्मी मिलने के साथ साथ बच्चे की धड़कन भी अच्छी प्रकार से नियमित रूप से चलती है 

बच्चों को अच्छी प्रकार से सुलाना

मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे को अच्छी प्रकार से सुलाए एक स्वस्थ शिशु को कम से कम 16 से 20 घंटे की नींद चाहिए होती है इसलिए मां को अपने शिशु को सीने के साथ चिपका कर सोना चाहिए इससे बच्चा अच्छी प्रकार से सो सकता है यदि बच्चा अच्छी प्रकार से नहीं सोता है तो उसे अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए बच्चे को एक तरह से पर्याप्त मात्रा में नींद पूरी करना आवश्यक है

बच्चे की जरूरतों को समझना 

मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे की जरूरतों को अच्छी प्रकार से समझे कि बच्चे को कब भूख लगी है बच्चे को कब सोना है और बच्चा कब क्या चाहता है बच्चे की हर एक प्रकार की गतिविधियों को मां को ध्यान में रखना चाहिए यदि बच्चा रो रहा है तो मां को देखना चाहिए कि बच्चा क्यों और किस लिए रो रहा है तो बच्चे को फीडिंग करवानी चाहिए यदि बच्चा फिर भी रो रहा है तो उसे हल्के हाथों से सहलाना चाहिए

बच्चे के रोने पर ध्यान देना

वैसे तो बच्चा दो ही कारणों से रोता है या तो उसे भूख लगी है या बच्चे को नींद आ रही है पर यदि दोनों कारणों में से कोई भी कारण नहीं है तो  आपको बच्चे के रोने पर ध्यान देना चाहिए उसे हल्के हाथों से सहलाना चाहिए 
उसके साथ बात करनी चाहिए
उसका डायपर चेक करना चाहिए
और यदि बच्चा फिर भी नहीं चुप होता तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले कर जाना चाहिए

बच्चे के साथ बात करना

एक मां के लिए अपने बच्चे से बढ़कर कुछ भी नहीं होता इसलिए उसे अपना सारा समय अपने  अपने बच्चे के साथ बात करनी चाहिए इससे बच्चे के दिमाग का विकास बहुत जल्दी होता है और वह बाहर चीजों को जल्दी समझने लगता है

बच्चे के कमरे की सफाई पर ध्यान देना

 जिस कमरे में बच्चे को रखा जाता है उस कमरे की  विशेष कर  सफाई करनी चाहिए
उस कमरे में किसी भी प्रकार के मक्खी मच्छर नहीं होने चाहिए जिससे बच्चे को संक्रमण का खतरा हो

बच्चे को नहाते समय रखें विशेष करके ध्यान

जब भी मां अपने बच्चे को नहलाती है तो उसे विशेष करके ध्यान रखना चाहिए कि पानी बच्चे के आंख कान नाक में ना जाए और जब तक गर्भनाल होती है तब तक बच्चे को नहीं नहलाना चाहिए उसे स्पंज बाथ ही करवाना चाहिए

बच्चे को किसी भी तरह का cream नहीं लगानी चाहिए

बच्चे के शरीर पर किसी भी तरह के क्रीम या मोसीचर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि बच्चे की स्किन बहुत ही नाजुक होती है और इस पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट होने का जल्दी खतरा होता है इसलिए डॉक्टर से सलाह किए बिना किसी भी प्रकार की क्रीम ना लगाएं

मालिश करना 

 
बच्चे के शरीर में हल्के हाथों से मालिश करना चाहिए इससे बच्चे का विकास जल्दी होता है और उसके शरीर में खून का सरकुलेशन भी तेज होता है

मां को अपने खान पान पर ध्यान देना

यदि मां स्वस्थ रहेगी तो बच्चा भी स्वस्थ रहेगा  इसलिए मां को अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए खानपान में उसे दूध का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए जिससे बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बन सके

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